लखनऊ[टुडे टीवी इंडिया नेटवर्क]। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 जनवरी 2025 को जनजातीय संस्कृति के संरक्षण के लिए देशभर में हो रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार और राज्य सरकारें मिलकर जनजातीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए पूरी तत्परता से काम कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने यह बयान जनजातीय युवा संवाद कार्यक्रम-2025 के दौरान दिया, जिसमें ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के युवा भागीदारों के साथ संवाद किया।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जनजातीय संस्कृति का संरक्षण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय दिवस के रूप में मनाने का ऐतिहासिक कदम उठाया। उन्होंने इस दिन को जनजातीय संस्कृति की गौरवमयी धरोहर को पहचान दिलाने के लिए मनाया, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता का अहम हिस्सा है।
योगी आदित्यनाथ ने यह भी उल्लेख किया कि स्वतंत्र भारत में पहली बार एक जनजातीय महिला, द्रौपदी मुर्मू, देश की राष्ट्रपति के रूप में सेवा दे रही हैं, जो भारतीय राजनीति में जनजातीय समुदाय की अहम उपस्थिति को दर्शाता है।
उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यो के सांस्कृतिक संबंध
मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है और चित्रकूट में भगवान राम ने वनवास का अधिकांश समय बिताया। इस तरह, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच सांस्कृतिक जंक्शन की भूमिका है।
इसके अलावा, उन्होंने झारखंड और ओडिशा को भी जनजातीय संस्कृति के प्रमुख केंद्रों के रूप में संदर्भित किया। ओडिशा को जगन्नाथ भगवान का पावन धाम माना जाता है और झारखंड को बाबा धाम के लिए जाना जाता है।
जनजातीय संस्कृति का महत्व और उत्तर प्रदेश की भूमिका
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और इसके महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह सिर्फ राज्य और देश के लिए नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर भी एक प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। उन्होंने कहा कि अपनी सांस्कृतिक पहचान, परंपरा और इतिहास के प्रति गर्व और सम्मान की भावना से समाज को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।