
जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में शपथ ग्रहण, HCBA ने जताई आपत्ति
प्रयागराज [टुडे टीवी इंडिया नेटवर्क]। जस्टिस यशवंत वर्मा ने हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ ली। यह शपथ ग्रहण समारोह मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली द्वारा आयोजित किया गया, लेकिन इस दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (HCBA) ने शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई।
शपथ ग्रहण का आयोजन और HCBA की आपत्ति
जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपने नए पद पर शपथ ली, जो कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद ट्रांसफर किए जाने के बाद हुआ था। यह शपथ ग्रहण सुबह 9:30 बजे मुख्य न्यायधीश के लाइब्रेरी हॉल में हुआ था, और इसके बाद जस्टिस वर्मा का नाम हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर दर्ज किया गया।
हालांकि, इस शपथ ग्रहण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (HCBA) ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई। HCBA ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा कि उन्हें शपथ ग्रहण की सूचना क्यों नहीं दी गई और क्यों एसोसिएशन को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया। HCBA के इस विरोध के कारण पूरे घटनाक्रम में तनाव उत्पन्न हो गया।
जस्टिस यशवंत वर्मा का विवादास्पद ट्रांसफर
जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा किया गया था, लेकिन इस फैसले के बाद इलाहाबाद के अधिवक्ताओं ने नाराजगी जाहिर की थी। वे इस ट्रांसफर के खिलाफ थे, और इसके विरोध में उन्होंने सात दिनों तक हड़ताल की थी। हालांकि, बाद में वादकारियों की परेशानी को देखते हुए हड़ताल स्थगित कर दी गई थी, और हाईकोर्ट में कार्यवाही सामान्य रूप से शुरू हो गई थी।
जस्टिस वर्मा का कैश कांड और उसका असर
जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम दिल्ली हाईकोर्ट में हुए एक बड़े कैश कांड से जुड़ा हुआ था, जो मीडिया में चर्चा का विषय बना था। इस कांड के बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर किया गया। इस मामले ने उनकी प्रतिष्ठा को प्रभावित किया, और यही कारण था कि HCBA ने उनके शपथ ग्रहण पर आपत्ति जताई। हालांकि, अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है और उनका ट्रांसफर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले के बाद हुआ है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में कामकाज की शुरुआत
हालांकि, जस्टिस यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध जताया था, लेकिन अब हाईकोर्ट में कामकाज फिर से शुरू हो गया है। 29 मार्च को हड़ताल स्थगित होने के बाद से वकीलों ने कामकाज शुरू किया। यह संकेत है कि स्थिति अब सामान्य हो रही है और उच्च न्यायालय में न्यायिक कार्य फिर से प्रभावी रूप से चल रहे हैं।