
लखनऊ में डिजिटल अरेस्ट के मामलों में रिकवरी महज 6 फीसदी, जालसाजों का गिरोह सक्रिय फाइल फोटो
लखनऊ[टुडे टीवी इंडिया नेटवर्क]। लखनऊ में डिजिटल अरेस्ट के मामलों में रिकवरी की दर बेहद कम, महज 6 फीसदी है। साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों ने पुलिस और प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। इन जालसाजों ने खुद को कस्टम, CBI, और NIA के अफसर बताकर लोगों को धोखा दिया और उनसे भारी रकम वसूली। हाल ही में साइबर थाना पुलिस द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है।
जालसाज खुद को कस्टम, CBI और NIA का अफसर बताते हैं
डिजिटल अरेस्ट के मामलों में जालसाजों ने अपने पीड़ितों को गुमराह करने के लिए खुद को कस्टम, CBI और NIA का अफसर बताकर ठगी की। इन लोगों ने पीड़ितों को अपनी बातों में फंसाया और उन्हें झूठे मामलों में फंसा कर पैसे की वसूली की। इसके चलते, एक ओर जहां इन जालसाजों का गिरोह सक्रिय है, वहीं दूसरी ओर पीड़ितों को अपनी रकम वापस मिलना मुश्किल हो रहा है।
जनवरी से नवंबर तक 19 लोगों को डिजिटल अरेस्ट किया गया
साइबर क्राइम के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से लेकर नवंबर तक 19 लोगों को डिजिटल अरेस्ट किया गया। इन अरेस्ट के तहत पीड़ितों को धोखा देकर उनकी सारी रकम जालसाजों ने हड़प ली। पुलिस ने इन मामलों में कुछ गिरफ्तारी भी की है, लेकिन रिकवरी की दर बेहद कम रही है।
14.60 करोड़ रुपये की वसूली, 84.31 लाख रुपये की ही वापसी
इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक जालसाजों ने कुल 14.60 करोड़ रुपये की वसूली की है। हालांकि, पुलिस अब तक केवल 84.31 लाख रुपये ही पीड़ितों को वापस दिला पाई है। यह रिकवरी महज 6 फीसदी ही रही है, जो कि इस तरह के मामलों में एक चिंताजनक आंकड़ा है।
साइबर थाना पुलिस के आंकड़े
साइबर थाना पुलिस द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से यह साफ होता है कि डिजिटल अरेस्ट के मामलों में बड़ी रकम वसूली जा चुकी है, लेकिन रिकवरी की दर बेहद कम रही है। पुलिस इस मामले में और अधिक सख्त कार्रवाई करने की योजना बना रही है, ताकि जालसाजों को पकड़कर उनके खिलाफ कड़ी सजा दिलवाई जा सके। इसके साथ ही पुलिस ने लोगों को सावधान रहने की भी अपील की है, ताकि वे ऐसे धोखाधड़ी के शिकार न हो।