लखनऊ [टुडे टीवी इंडिया नेटवर्क]। मुस्लिम जमात के शहाबुद्दीन ने नए साल के जश्न को लेकर फतवा जारी किया है। फतवे में इस्लामी शरीयत का हवाला देते हुए नए साल का जश्न और एक-दूसरे को मुबारकबाद देने को नाजायज करार दिया गया है। इसमें कहा गया है कि नए साल का जश्न अंग्रेजों और ईसाइयों का त्योहार है, जिसे मुसलमानों को नहीं मनाना चाहिए।
इस्लामी शरीयत का हवाला
फतवे में इस्लामी शरीयत के नियमों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि मुसलमानों को ऐसे त्योहारों से बचना चाहिए जो उनकी धार्मिक परंपराओं के खिलाफ हों। नए साल का जश्न इस्लामिक परंपराओं में मान्य नहीं है और इसे न मनाने की सलाह दी गई है।
फतवे की प्रमुख बातें
- नए साल का जश्न नाजायज: फतवे में स्पष्ट किया गया है कि इस्लामी दृष्टिकोण से नए साल का जश्न मनाना हराम है।
- मुबारकबाद देना भी नाजायज: सिर्फ जश्न ही नहीं, बल्कि नए साल की शुभकामनाएं देना भी शरीयत के खिलाफ बताया गया है।
- धार्मिक मूल्यों की रक्षा: मुसलमानों से अपील की गई है कि वे अपने धार्मिक मूल्यों और परंपराओं को बनाए रखें।
धार्मिक नेताओं की सलाह
शहाबुद्दीन ने फतवे के माध्यम से मुसलमानों को इस्लामी शिक्षाओं का पालन करने और बाहरी सांस्कृतिक प्रभावों से बचने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि नए साल को मनाना इस्लामी त्योहारों की महत्ता को कम करता है।
प्रतिक्रिया
फतवे को लेकर मुस्लिम समाज में विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग इसे सही ठहरा रहे हैं, जबकि कुछ इसे आधुनिक समय के साथ सामंजस्य न बैठाने वाला कदम मान रहे हैं।