
बलिया में शारदानंद अंचल की प्रतिमा तोड़फोड़ – एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना फाइल फोटो
बलिया [टुडे टीवी इंडिया नेटवर्क]। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चितबड़ागांव थाना क्षेत्र के रामपुर चिट गांव में एक गंभीर घटना घटी, जब पूर्व मंत्री शारदानंद अंचल की प्रतिमा को अराजक तत्वों ने देर रात तोड़ दिया। यह घटना न केवल समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थकों के बीच आक्रोश का कारण बनी है, बल्कि पूरे क्षेत्र में राजनीतिक तनाव को भी बढ़ा दिया है।
शारदानंद अंचल की प्रतिमा का इतिहास
पूर्व मंत्री शारदानंद अंचल का बलिया जिले में विशेष स्थान है, जो लंबे समय तक सपा के वरिष्ठ नेता रहे थे। शारदानंद अंचल का योगदान खासकर गरीबों और वंचित वर्गों के लिए सराहनीय रहा है। वर्ष 2013 में पूर्व ग्राम प्रधान कृष्णा यादव द्वारा उनकी प्रतिमा स्थापित की गई थी, जो इलाके के लोगों के लिए एक सम्मान का प्रतीक बन गई थी।
प्रतिमा को नुकसान पहुंचने का कारण
रात के अंधेरे में अराजक तत्वों ने शारदानंद अंचल की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किया और सिर को अलग कर दिया। इस घटना को लेकर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। हालांकि, घटना के पीछे के कारणों का अभी तक कोई ठोस पता नहीं चल पाया है, लेकिन राजनीतिक द्वंद्व और स्थानीय मुद्दों का इस पर प्रभाव हो सकता है।
सपा समर्थकों का आक्रोश
प्रतिमा तोड़े जाने के बाद सपा समर्थकों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र के रूप में देखा है। इस घटना को समाजवादी पार्टी ने एक निंदनीय कृत्य के रूप में मानते हुए इसके खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी। पूर्व मंत्री रामगोविंद चौधरी ने कहा, “स्व. शारदानंद अंचल जी का पूरे जीवनकाल में गरीबों और वंचितों के लिए समर्पण था, और उनकी प्रतिमा को तोड़ना एक दुखद घटना है।”
पुलिस की कार्रवाई और क्षेत्र में शांति
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपियों को पकड़ने के लिए सख्त कदम उठाने का आश्वासन दिया है। वहीं, प्रशासन ने घटनास्थल पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया है, ताकि किसी भी प्रकार के साम्प्रदायिक या राजनीतिक हिंसा की स्थिति से बचा जा सके।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। भाजपा और सपा दोनों ही पार्टियां इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रही हैं। भाजपा के नेताओं का कहना है कि यह घटना समाजवादी पार्टी के खिलाफ जनता के गुस्से को दिखाती है, जबकि सपा इसे अपनी पार्टी और शारदानंद अंचल के योगदान को नकारने के रूप में देख रही है।