लखनऊ[टुडे टीवी इंडिया नेटवर्क]। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा ‘टीबी मुक्त उत्तर प्रदेश’ अभियान के तहत एक नई पहल शुरू की गई है। इस पहल में सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस और पूर्व कुलपतियों को ‘नि:क्षय मित्र’ के रूप में शामिल किया गया है। ये वरिष्ठ नागरिक अब टीबी उन्मूलन की दिशा में जन जागरूकता फैलाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘टीबी मुक्त भारत’ के संकल्प को साकार करने के लिए यह कदम उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई उम्मीद की किरण है।
‘नि:क्षय मित्र’ की भूमिका
‘नि:क्षय मित्र’ की योजना के तहत, सेवानिवृत्त अधिकारी, शिक्षाविद् और अन्य वरिष्ठ नागरिक टीबी रोगियों की मदद करेंगे। इन मित्रों का मुख्य उद्देश्य टीबी के बारे में जागरूकता फैलाना, रोगियों को समय पर इलाज दिलाना, और उन्हें सही पोषण उपलब्ध कराना है। इसके माध्यम से राज्य में टीबी के मामलों में कमी लाने और उपचार दर को सुधारने की दिशा में बड़ी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभी वरिष्ठ नागरिकों से सहयोग की अपील की है। उनका मानना है कि यदि हर व्यक्ति टीबी के खिलाफ इस अभियान में भागीदार बने, तो उत्तर प्रदेश को टीबी मुक्त प्रदेश बनाने का सपना साकार किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश में टीबी उन्मूलन की स्थिति
उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में टीबी उन्मूलन के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में टीबी मरीजों की जांच की दर चार गुना बढ़ गई है। इसके अलावा, टीबी उपचार की सफलता दर पिछले चार वर्षों में 79 प्रतिशत से बढ़कर 92 प्रतिशत हो गई है। इसके परिणामस्वरूप प्रदेश में टीबी के उपचार के मामले में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
टीबी उन्मूलन अभियान में निःक्षय पोषण योजना के अंतर्गत भी महत्वपूर्ण पहल की गई है। डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से लगभग 27 लाख टीबी रोगियों को 775 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया जा चुका है, जिससे उनका उपचार और पोषण सुनिश्चित किया जा सके।
टीबी उन्मूलन के लिए जनभागीदारी का महत्व
टीबी उन्मूलन में जनभागीदारी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। अब तक 45,000 से अधिक ‘नि:क्षय मित्र’ ने टीबी रोगियों को गोद लिया है, और प्रदेश की 1372 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केवल सरकार का दायित्व नहीं है, बल्कि समाज के हर सदस्य को टीबी के खिलाफ जागरूकता फैलानी होगी और टीबी के रोगियों को सही उपचार दिलाना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी टीबी रोगी इलाज से वंचित नहीं रहना चाहिए। इसके लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा, ताकि सभी को समय पर चिकित्सा और पोषण मिल सके। इसके साथ ही टीबी के लापता रोगियों की पहचान और उनका इलाज सुनिश्चित किया जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी का ‘टीबी मुक्त भारत’ संकल्प
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। इसका मुख्य उद्देश्य टीबी के लापता रोगियों को खोजकर उनका इलाज शुरू करना और मृत्यु दर को कम करना है। साथ ही, स्वस्थ व्यक्तियों को टीबी से बचाने के लिए उन्हें टीबी के बारे में जागरूक किया जाएगा।
टीबी उन्मूलन का मुख्य उद्देश्य न केवल टीबी के रोगियों को इलाज देना है, बल्कि उन लोगों को भी बचाना है जो इस संक्रमण से प्रभावित हो सकते हैं। इस दिशा में केंद्र और राज्य सरकारों का संयुक्त प्रयास टीबी मुक्त भारत के संकल्प को साकार करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।