संभल [टुडे टीवी इंडिया नेटवर्क] । संभल, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यहां खुदाई के दौरान लगातार प्राचीन धरोहरें सामने आ रही हैं। हाल ही में जामा मस्जिद से 150 मीटर की दूरी पर एक प्राचीन मृत्यु कूप की खोज ने सभी का ध्यान खींचा है।
मृत्यु कूप: धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
मृत्यु कूप, जिसे हाल ही में खुदाई के दौरान खोजा गया, संभल की हिंदू मान्यताओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। स्थानीय इतिहासकारों और पुरातत्वविदों का मानना है कि इस कूप का निर्माण प्राचीन काल में किया गया था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु कूप का जल पवित्र है और इसमें स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मृत्यु कूप के पास महामृत्युंजय तीर्थ स्थित होने की संभावना जताई जा रही है। यह तीर्थ हिंदू धर्म में विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
खुदाई में निकले अन्य अवशेष
यह प्राचीन कूप सरथला चौकी के पास नगर पालिका की टीम द्वारा खुदाई के दौरान मिला है। खुदाई की प्रक्रिया में यह कूप धीरे-धीरे सामने आया, जो स्थानीय लोगों के लिए आस्था और जिज्ञासा का केंद्र बन गया है। संभल क्षेत्र में इससे पहले भी कई प्राचीन धरोहरें खुदाई के दौरान मिली हैं, जिनमें 68 तीर्थ और 19 कुएं शामिल हैं। यह दर्शाता है कि संभल का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व प्राचीन काल से रहा है।
विवाद: तीर्थ की जमीन पर दावा
स्थानीय लोगों का आरोप है कि दूसरे समुदाय के लोग महामृत्युंजय तीर्थ की जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। यह विवाद प्रशासन के लिए चुनौती बनता जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तीर्थ और मृत्यु कूप की सुरक्षा और संरक्षण आवश्यक है।
महामृत्युंजय तीर्थ की खोज: एक नई पहल
मृत्यु कूप की खोज के बाद अब महामृत्युंजय तीर्थ की तलाश तेज हो गई है। पुरातत्व विभाग और धार्मिक संगठन इस क्षेत्र में और अधिक शोध और खुदाई करने की योजना बना रहे हैं। यदि यह तीर्थ पाया जाता है, तो यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकता है।
संभल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र बन गया है। संभल में हाल ही में मिली धरोहरें यह दर्शाती हैं कि यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही धर्म और संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। मृत्यु कूप और महामृत्युंजय तीर्थ जैसे स्थान यहां की महिमा को और बढ़ाते हैं।